जिंदगी में अकेलापन शायरी
जिन से खत्म हो जाती हैं उम्मीदें,
उनसे फिर शिकायत नही रहती!
किसी को जिस्म मिला किसी को रुसवाई मिले,
हम मोहब्बत में सबसे पक्के थे हमें तन्हाई मिली को!
उन्हों ने हमसे पूछा क्या सजा दूं तेरे प्यार को,
हमने भी उनसे कह दिया बस आप मेरे हो जाईए!
दुनिया की भीड़ में इतने तन्हा हो गए हैं हम,
अब तो कमबख्त परछाइयाँ भी साथ नहीं देती!
कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ कहाँ से गुजरे,
अकेले ही नजर आये हम जहाँ जहाँ से गुजरे!
Jahan महफ़िल SAji हो वह mela होता है,
जिसका Dil टूटा हो वो Tanha Akela होता है!
हजारों Mahfile हैं और Lakhon मेले है,
पर जहाँ Tum नहीं वहाँ हम Akele है!
बात बस Nazriye की है,
kafi अकेला हूँ या akela काफी हूँ!
एक तेरा ख्याल ही तो है जो मेरे पास वरना,
कौन अकेले में बैठे कर ऐसे चाय पीता है!
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