कुछ वक्त की खामोशी है फिर शोर आएगा, कुछ वक्त की खामोशी है फिर शोर आएगा, तुम्हारा सिर्फ वक्त आया है हमारा दौर आएगा...!!

अल्फाज को रखा है हमने इश्क के हिफाजत मैं खामोशी लापरवाह है अक्सर रिश्ते खो देती हैं

जब ख़ामोश आखों से बात होती हैं ऐसे ही मोहब्बत की शुरूआत होती हैं !!

सोचा था की ख़ामोश रहकर हर जंग जीत लेंगे क्या पता था कि लोग उसका भी गलत मतलब निकाल लेंगे !!

चुभता तो बहुत कुछ हैं मुझे भी तीर की तरह लेकिन खामोश रहता हूँ तेरे साये की तरह !!

निकाले गए इसके मअ’नी हज़ार, अजब चीज़ थी इक मेरी ख़ामुशी।

सांसें शोर मचा रही है, जुबां बिल्कुल खामोश है दोनों के बीच की लड़ाई में न जाने किसका दोष है !!

कैसे कह दूँ मैं सपनों को जीने की ख़्वाहिश नहीं हाँ मैं ख़ामोश रहती हूँ पर मन ही मन बोलती हूँ !!

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