Best Dr. kumar Vishwas shayari | कुमार विश्वास की प्रसिद्ध कविता

नमस्कार दोस्तों आज का हमारा  पोस्ट बोहत ही खास है। क्युकी आज के इस पोस्ट में हम पढ़ेंग भारत के जाने माने कवि kumar Vishwas shayari . इनकी शायरी भाव से पुण और अर्थ में गहरापन होता है। अगर आप ने कभी कुमार विश्वास की शायरी को पढ़ा या सुना होगा तो आप जानते होंगे किस तरह से उनकी शायरी में खो जाते है।

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हमारी इस पोस्ट के माध्यम से हम कुमार विश्वास की सभी शायरी का कलेक्शन तैयार करना का एक प्रयास है जिसमे कोई भी अगर उनकी शायरी को पढ़ा ना चाहिए तो आसानी से पढ़ सकता है। और दूसरों के साथ शेयर कर सकता है। इसमें सभी शायरी एक रीडर की नज़र सी ही लिखी गई है। इसका कोई दुरुप्रयोग नहीं है। किसी भी प्रकार की आपती के लिए आप कांटेक्ट कर सकते है।

कुमार विश्वास का एक शिक्षक से लेके राजनीति और साथ में कविता का एक अलग किरदार नज़र आता है। उनकी भाषा मीठी और तीखी धार से जिस तरह से शब्दों से दिल को गहरियों से भेदते है वो श्रोता को बोहत ही पसंद आता है। उनके हिंदी भाषा के लगाव और भाषा की परम्परा का अति प्रेम ही आज हमे हिंदी शायरी ग़ज़लों को जगाने में समर्थ कर रही है।

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Famous Shayar Ki ShayariHeart Touching Mirza Ghalib shayari

kumar Vishwas shayari


मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है

भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती है

यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन

मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करती  है।। 

kumar Vishwas shayari

कँटकों की सजाती रहो राह तुम

मैं उसी राह पर रोज़ जाता रहूँ

तुम स्वयं को सजाती रहो रात-दिन

रात-दिन मैं स्वयं को जलाता रहूँ

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हर एक कपड़े का टुकड़ा माँ का आंचल हो नहीं सकता,

जिसे दुनिया को पाना है वो पागल हो नहीं सकता,

जफाओं की कहानी जब तलक इसमें न शामिल हो,

मुहब्बत का कोई किस्सा मुकम्मल हो नहीं सकता..।”

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Koi Deewana kahta hai koi pagal samjhta hai famous kavita

कुमार विश्वास की सबसे प्रसिद्ध कविता जो की हर किसी को याद होगी। और जिस जिस ने ये कविता उन से सुनी हो वो तो मोहित हो जाता है। ये कविता  koi deewana kahta hai by kumar viश्वास जो की सबसे फेमस है।Kumar Vishwas shayari Koi Deewana Kehta Hai Lyrics…

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है !!  

मगर धरती की बैचेनी को बस बादल समझता है!!

मै तुझसे दूर कैसा हुँ तू मुझसे दूर कैसी है!!

यह तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है  !!

kumar Vishwas shayari

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

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समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नहीं सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता !!

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भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!

: – kumar Vishwas

 

नज़र अक्सर शिकायत आजकल करती है दर्पण से,

थकन भी चुटकियाँ लेने लगी है तन से और मन से,

कहाँ तक हम संभाले उम्र का हर रोज़ गिरता घर,

तुम अपनी याद का मलबा हटाओ दिल के आँगन से..!

kumar Vishwas shayari

तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है

हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है

अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़

तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है

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मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया

अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया

तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है

मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया

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मै तेरा ख्वाब जी लू पर लाचारी है

मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है

सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से

मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है

 

dr kumar vishwas shayari

 

सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता

खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता

फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो

फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।

kumar Vishwas shayari

ये वो ही इरादें हैं, ये वो ही तबस्सुम है

हर एक मोहल्लत में, बस दर्द का आलम है

इतनी उदास बातें, इतना उदास लहजा ,

लगता है की तुम को भी, हम सा ही कोई गम है.

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वो जो खुद में से कम निकलतें हैं, उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं

आप में कौन-कौन रहता है , हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।

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स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी

बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी

बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी

अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी

कुमार विश्वास की गजलें

फिर मेरी याद आ रही होगी  , फिर वो दीपक बुझा रही होगी

फिर मिरे फेसबुक पे आ कर वो ख़ुद को बैनर बना रही होगी

अपने बेटे का चूम कर माथा मुझ को टीका लगा रही होगी

फिर उसी ने उसे छुआ होगा  , फिर उसी से निभा रही होगी

जिस्म चादर सा बिछ गया होगा , रूह सिलवट हटा रही होगी

फिर से इक रात कट गई होगी , फिर से इक रात आ रही होगी||

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kumar vishwas shayari in hindi

 

तुम्ही पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता

कई जन्मो से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता..

कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत हे ज़माने से

मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता..

kumar Vishwas shayari

उन की ख़ैर-ओ-ख़बर नहीं मिलती , हम को ही ख़ास कर नहीं मिलती

शाएरी को नज़र नहीं मिलती , मुझ को तू ही अगर नहीं मिलती

रूह में दिल में जिस्म में दुनिया ढूँढता हूँ , मगर नहीं मिलती

लोग कहते हैं रूह बिकती है , मैं जिधर हूँ उधर नहीं मिलती||

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मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,

कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,

यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,

जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।

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पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना

जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर से अधिकार क्या करना

मोहब्बत का मज़ा तो, डूबने की कशमकश में है

जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना

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कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाए

ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाऐ

मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले

मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ

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उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे

वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे

मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा

ये मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे

kumar Vishwas shayari

kumar vishwas ki shayari

 

सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर क्या डर जाऊँगा?

तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा,

भींग रही है काया सारी खजुराहो की मूरत सी,

इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना,

मर जाऊँगा!

कुमार विश्वास मोटिवेशनल शायर

 

मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा

मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा

हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा

अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा

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ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है

ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है

अजब सी कशमकश है,रोज़ जीने, रोज़ मरने में

मुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है

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मेरा जो भी तर्जुबा है, तुम्हे बतला रहा हूँ मैं

कोई लब छु गया था तब, की अब तक गा रहा हूँ मैं

बिछुड़ के तुम से अब कैसे, जिया जाये बिना तडपे

जो मैं खुद ही नहीं समझा, वही समझा रहा हु मैं

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प्यार जब जिस्म की चीखों में दफ़न हो जाए,

ओढ़नी इस तरह उलझे कि कफ़न हो जाए,

kumar Vishwas shayari

जब भी मुँह ढंक लेता हूँ, तेरे जुल्फों की छाँव में

कितने गीत उतर आते हैं, मेरे मन के गाँव में

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मैं अपने गीत-ग़ज़लों से उसे पैग़ाम करता हूँ

उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ

हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना

वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूँ

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एक दो दिन में वो इकरार कहाँ आएगा

हर सुबह एक ही अखबार कहाँ आएगा

आज जो बाँधा है इनमें तो बहल जायेंगे

‪रोज़ इन बाँहों का त्यौहार कहाँ आएगा”

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मैं ज़माने की ठोकर ही खाता रहूँ

तुम ज़माने को ठोकर लगाती रहो

जि़ंदगी के कमल पर गिरूँ ओस-सा

रोष की धूप बन तुम सुखाती रहो

kumar Vishwas shayari

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ,

तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ,

तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं, लेकिन

तुम्हीं को भूलना सबसे ज़रूरी है, समझता हूँ…!

 

dard kumar vishwas shayari

 

मैं मानता हूँ मेरे प्यार में कमी होगी

मैं मानता हूँ कि इकरार में कमी होगी

ये गिले-शिकवे किसी रोज़ मिटाओ तो सही

फिर वहीं झील किनारे कभी आओ तो सही

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गम में हूँ या हूँ शाद मुझे ख़ुद पता नहीं

ख़ुद को भी हूँ मैं याद मुझे ख़ुद पता नहीं

 मैं तुझको चाहता हूँ मगर मांगता नहीं

 मौला मेरी मुराद मुझे ख़ुद पता नहीं

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किसी पत्थर में मूरत है कोई पत्थर की मूरत है

लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी ख़ूबसूरत है

ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है

तुम्हें मेरी जरूरत है, मुझे तेरी जरूरत है

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सब अपने दिल के राजा हैं सबकी कोई रानी है

कभी प्रकाशित हो न हो पर सबकी एक कहानी है

बहुत सरल है पता लगाना किसने कितना दर्द सहा

जिसकी जितनी आँख हँसे है उतनी पीर पुरानी है

kumar Vishwas shayari

कौन आया है यहाँ कौंन आएगा

मेरा दरवाज़ा हवाओ में बजाया होगा

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कलेजे में जलन आँखों में पानी छोड़ जाती हो,

मगर उम्मीद की चूनर को धानी छोड़ जाती हो,

सताने की अदा ये भी तुम्हारी कम नहीं जाना,

कि घर में अपनी कोई एक निशानी छोड़ जाती हो

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रंग दुनिया ने दिखाया है निराला, देखूँ

हो अँधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ

आईना रख दे मेरे हाथ में, आख़िर मैं भी

कैसा लगता है तेरा चाहने वाला देखूँ

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एक-दो रोज़ में हर आँख ऊब जाती है

मुझ को मंज़िल नहीं, रस्ता समझने लगते  हैं

जिन को हासिल नहीं वो जान देते रहते हैं

जिन को मिल जाऊँ वो सस्ता समझने लगते हैं

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दूर है तू मगर मैं तेरे पास हूँ , दिल है गर तू तो दिल का मैं एहसास हूँ

प्रार्थना या इबादत या पूजा कोई , भावना है अगर तू मैं विश्वास हूँ

kumar Vishwas shayari

पुराने दोस्त जमे हैं मुंडेर पर छत की,

ये शाम रात से पहले ढली-ढली सी लगे,

तुम्हारा ज़िक्र मिला है नरम हवा के हाथ,

हमें ये जाड़े की आमद भली-भली सी लगे

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एक ख़ामोश हलचल बनी ज़िंदगी

गहरा ठहरा हुआ जल बनी ज़िंदगी

तुम बिना जैसे महलों में बीता हुआ

उर्मिला का कोई पल बनी ज़िंदगी

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महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है

ख़ुद ही ख़ुद को समझाना तो पड़ता है

उसकी आँखों से हो कर दिल तक जाना

रस्ते में ये मयख़ाना तो पड़ता है

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आप की दुनिया के बेरंग अँधेरों के लिए

रात भर जाग कर एक चॉंद चुराया मैंने

रंग धुँधले हैं तो इनका भी सबब मैं ही हूँ

एक तस्वीर को क्यूँ इतना सजाया मैंने

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जो किए ही नहीं कभी मैंने , वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं

मुझसे फिर बात कर रही है वो, फिर से बातों में आ रहा हूँ  मैं

kumar Vishwas shayari

मैं अपने गीत-ग़ज़लों से उसे पैग़ाम करता हूँ

उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ

हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना

वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूँ

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ज़ख्म भर जाएंगे, तुम मिलो तो सही

दिन सँवर जाएंगे, तुम मिलो तो  सही

रास्ते  में  खड़े  दो  अधूरे  सपन

एक घर जाएंगे, तुम मिलो तो सही

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आपको कैसी लगी कुमारी विश्वास की हिंदी कविता और शायरी आशा करते है आपको इनकी शायरी पढ़ने में आनद आया होगा अगर आपको इस शायरी को पढ़ने का अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते है और उन्हें भी इसी अच्छी शायरी पढ़ने का मौक़ा दे सकते है।
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