Ishq shayari hindi
कांटे तो नसीब में आने ही थे..!
फूल जो हमने गुलाब चुना था…!!
जब कभी टूट कर बिखरो तो बताना हमको..!
हम तुम्हें रेत के जर्रों से भी चुन सकते हैं।…!!
रात भर चलती रहती है उँगलियाँ mobile पर..!
किताब सीने पे रखकर सोये हूए एक जमाना हो गया…!!
इश्क़ हमारा चाँद सितारे छू लेगा
घुटनों पर आकर इज़हार किया हमने
अगर है Ishq सच्चा तो निगाहों से बयाँ होगा
ज़बाँ से बोलना भी क्या कोई इज़हार होता है
WaDa करो कि हाथ छुड़ाकर न जाओगे
WaDa करो कि सात जनम तक रहेगा Ishq
तुमने जब से अपनी पलकों पर रक्खा
कालिख़ को सब काजल काजल कहते हैं
Ishq में पागल ही तो होना होता है
पागल हैं जो मुझको पागल कहते हैं
तर्जुबा था सो दुआ की के नुकसान ना हो
Ishq मजदूर को मजदूरी के दौरान ना हो
तोहफ़ा, फूल, शिकायत, कुछ तो लेकर जा
इश्क़ से मिलने ख़ाली हाथ नहीं जाते
तेरे एक-एक लफ्ज़ को हज़ार मतलब पहनाये हमने…
चैन से सोने ना दिया तेरी अधूरी बातों ने…
आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें..!
Dil-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की..!!
Ishq Mohabbat Shayari
जन्नत-ए-Ishq में, हर बात अजीब होती है,
किसी को आशिकी तो, किसी को शायरी नसीब होती है।
उस की याद आई है सांसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
गिला भी तुझ से बहुत है मगर Mohabbat भी
वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह
Ishq पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
Mohabbat Ishq Shayari
तुम Mohabbat को खेल कहते हो
हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली
न पूछो हुस्न की तारीफ़ हम से
Mohabbat जिस से हो बस वो हसीं है
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही Dil में प्यार है कि नहीं
Ishq ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
मत किया करिये दिन के उजालों की ख्वाहिशें ऐ हजूर..!
ये आशिक़ों की बस्तियाँ हैं यहाँ सूरज से नहीं, दीदार से दिन निकलता हैं…!!!
जीँदगी हो या शतरंज, मजा तभी है दोस्त,…!
जब रानी मरते दम तक साथ हो……!!
एक लफ्ज़ है Mohabbat , इसे कर के तो देखो !
तुम Tadap ना जाओ तो कहना !!,
एक lafz है Mukddar , इससे लड़ कर तो देखो !
तुम हार न जाओ तो कहना !!
एक लफ्ज़ है Wafa, ज़माने में नहीं मिलती !
कहीं DHundh पाओ तो कहना !!
एक Lafz है आंसू, Dil में छुपा कर तो देखो !
तुम्हारी आँख. खवाहिश नही मुझे Mashhoor होने की….
तुम Mujhe पहचानते हो, बस इतना ही Kafi है..
बड़ा Mitha नशा था उसकी Yaad का..!
Waqt गुजरता गया और हम Aadi होते गए..!!
कल रात उसको Khawab मे गले से लगाया था मैने..!
आज दिन भर मेरे Dost मेरी महक का राज पूछते रहे…!!
“रातों को आवारगी की Aadat तो हम दोनों में थी.!!
अफ़सोस Chand को ग्रहण और मुझे Ishq हो गया.!!”
Humko तो बेजान चीज़ों पर भी प्यार आता है….यारा..!
तुझमें तो फिर भी मेरी जान बसी है….!!
ये तो Sach हैं की हमे चाहने वाले बहोत हैं..!
पर ये हमारी Zidd थी की हमे सिफ्र तु चाहै…!!
लाजिमी नहीं की आपको Ankhon से ही देखुं।
आपको सोचना आपके Didar से कम नहीं।।
तारों से कह दो कि वो टूट गिरे मेरे हाथों में,
माँगता है यार मेरा मुझसे उन्हें Aksar रातों में….!!!!
हिचकियों में Wafa ढूँढ रहा था..!
कमबख्त Gum हो गई दो घूँट पानी से….!!
ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे..!
जिसकी Ankhon को देख दुनिया फना हैं,..!!
Cheen कर हाथो से सिगार वो कुछ इस अंदाज़ से बोली..!
कमी क्या है इन होठोंमें जो तुम सिगरेट पीते हो…!!
मैं Ladki हूँ अच्छी..
लेकिन Ishq के kabil नहीं….
करती हूँ Ishq,, “और”
सलाह Ishq से दूर रहने की देती हूँ..!!
ताउम्र जलते रहें हैं DHiMi आंच पर इसलिए
चाय और Ishq दोनों मशहूर हुए
अल्फाजों में तुम, Ishq बरसाने लगे हो
लगता है, अंज़ाम से गुमनाम होने लगे हो
कलम पूछती है, कागज़ से बता के क्या लिखूँ,
Ishq को Ishq ही रहने दूँ, के तुझे खुदा लिखूँ…!
जिंदगी है चार दिन की , कुछ भी ना गिला कीजिए
दवा…जहर…जाम…Ishq… जो मिले मजा लीजिए…
वो पागल Ishq कर बैठा है मुजसे
कोई बताओ उसे सिरफिरी हूँ मैं
बेवजह नहीं रोता, कोई Ishq में ग़ालिब,,,,
जिसे खुद से बढ़कर चाहो, वह रुलाने का दम रखता है,,,,
जुड़े दो तो इक हो जाये , घटे तो शून्य,
बस इतना हिसाब आता है, “Ishq में हमे.
बाजार के सारे इत्रो की खुशबू, आज कम पड गयी
जब मेरा Ishq, मेरे गले से लगा
मुझको पढ़ने वाले, कहीं मेरी राह ना चुन ले,आख़री पन्नें पे लिख देना, की हम Ishq हार गये थे।
मैने Dil के दरवाजे पर, लिखा था अंदर आना मना है,,
Ishq मुस्कुराता हुआ बोला, माफ करना में अंधा हूं….!!!
Ishq करो तो शिद्दत से करो,
मिलना बिछड़ना, तो एक दिन जाहिर है
हम प्रोफेसर रह चुके Ishq मे..
आप अभी नये है तैयारी कीजिये
यूँ तो मसले और मुद्दे बहुत हैं …….लिखने को मगर …!
कमबख्त़ इन कागज़ों को तेरा ही ,,,ज़िक्र अज़ीज़ है !!
बदल जाती हो तुम, कुछ पल साथ बिताने के बाद..!
यह तुम Mohabbat करती हो या नशा…!!
Dil दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे
अक्सरपूछते है लोग, किसके लिए लिखते हो …??
अक्सर कहता है Dil…..”काश कोई होता”…!!
मैकदे बंद करे चाहे लाख जमाने वाले
शहर में कम नहीं आँखों से पिलाने वाले
मत दे दुआ किसी को अपनी उमर लगने की,
यहाँ ऐसे भी लोग है जो तेरे लिए जिन्दा हैं.
मुझसे Ishq किया है तो वफ़ा का WaDa भी करो .!
मैं बिखरना नहीं चाहता टूटे हुवे काँच की तरह.!!
आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न..!
आया मेरा Khayal तो शर्मा के रह गए,..!!
ख्वाहिश तो थी मिलने की… पर कभी कोशिश नही की..!
सोचा के जब खुदा माना है तुजको तो बिन देखे ही पूजेंगे…!!
लिख तू कुछ ऐसा ऐ-Dil, जिसे पढ़..!
वो रोये भी ना और, रात भर सोये भी ना..!!
हमने देखा था शौक-ऐ-नजर की खातिर…!!
ये न सोचा था के तुम Dil मैं उतर जाओगे..!!!
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